हर इक नदिया के होंठों पर समंदर का तराना है 
यहाँ फरहाद के आगे सदा कोई बहाना है 
वही बातें पुरानी थीं, वही किस्सा पुराना है 
तुम्हारे और मेरे बीच में फिर से ज़माना है 






           Written by
              Dr. Kumar Vishwash
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